ब्यूरो रिपोर्ट । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में शनिवार को 14वें भारतीय अंगदान दिवस के अवसर पर “अंगदान जनजागरूकता अभियान” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बताया गया कि का्र्यक्रम का उद्देश्य जनसामान्य को अंगदान की महत्ता से अवगत कराना और इसके लिए प्रेरित करना है। एम्स संस्थान के यूरोलॉजी विभाग, नेफ्रोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, कॉलेज ऑफ नर्सिंग एवं मोहन फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत सुबह तीर्थनगरी के आस्थापथ पर वॉकथॉन से की गई। जनजागरुक मुहिम से जुड़े इस वृहद कार्यक्रम में आयोजित समिति के संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह, डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव मित्तल, यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर एके मंडल, डॉ. अंकुर मित्तल, डॉ. विकास पंवार, डॉ. दिलीप सिंह, गेस्ट्रो विभाग के डॉ. रोहित गुप्ता, डॉ. आनंद, डॉक्टर इतिश पटनायक, नैफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. शैरोन कंडारी, सर्जिकल गेस्ट्रो के डॉ. निर्झर, डॉ. लोकेश, डॉ. सुमन, नेत्र रोग विभाग की डॉ. नीति प्रमुखरूप से शामिल रहे। वॉकथॉन के माध्यम से आम जनमानस को अंग दान और अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया गया, साथ ही उनका अंगदान जैसे पुनीत संकल्प के लिए समाज के दूसरे लोगों को भी प्रेरित करने का आह्वान किया गया। इसके बाद जन जागरूकता के तहत व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें प्रमुख वक्ताओं ने अंग दान के महत्व, प्रक्रिया और इससे जुडी सुरक्षा संबंधी विस्तृत जानकारियों से जनसमुदाय को अवगत कराया। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि एक व्यक्ति द्वारा दान किए गए अंगों से आठ लोगों की जिंदगी को बचाया जा सकता है और उन्हें नया जीवन प्रदान किया जा सकता है। उधर, एम्स की पहल पर आयोजित इस जनजागरुक मुहिम के अंतर्गत संस्थान के यूरोलॉजी विभाग की ओपीडी में नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया, जिसमें संस्थान के नर्सिंग छात्राओं ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से मरीजों, उनके तीमारदारों व जनसामान्य को अंग दान के महत्व और इससे जुडी भ्रांतियों से रूबरू कराया। नाट्य प्रस्तुति में दिए गए संदेश को न सिर्फ मौके पर मौजूद लोगों ने आत्मसात किया बल्कि शानदार संदेशप्रद प्रस्तुति की मुक्तकंठ से प्रशंसा भी की। शनिवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान अंग दान करने वाले और अंग प्राप्त करने वाले “चैंपियंस” को एम्स संस्थान की ओर से कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह द्वारा सम्मानित किया गया। इन दौरान सम्मान प्राप्त करने वाले चैंपियनों ने जनसमुदाय के समक्ष अपने अनुभव साझा किए साथ ही अन्य लोगों को भी अंगदान के लिए आगे आने का संदेश दिया। इस अवसर पर उप निदेशक प्रशासन ले. कर्नल अमित पराशर, प्रो. सत्यश्री, डॉ. कर्मवीर सिंह, डॉ. निपुन बंसल, ट्रांसप्लांट को-ओर्डिनेटर देशराज सोलंकी, संचित आदि शामिल रहे। एम्स के कॉलेज ऑफ नर्सिंग में पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें संस्थान के विद्यार्थियों ने अंग दान के महत्व को रेखांकित करते हुए रचनात्मक पोस्टर बनाए।
रचनात्मक प्रस्तुतियों के माध्यम से संदेश दिया गया कि जीवन में अंग दान एक ऐसा महत्वपूर्ण संकल्प है जिससे हम किसी व्यक्ति को जीवन दान दे सकते हैं। पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से बताया गया कि कि एक व्यक्ति के अंगदान के संकल्प से
कई जरुरतमंद लोगों को नया जीवन प्रदान किया जा सकता है। मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अगितनयम अंग दान और अंग प्रत्यारोपण की संपूर्ण प्रक्रिया को कानूनी रूप से सुरक्षित एवं पारदर्शी बनाता है। राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन के अनुसार, 2023 में 1,028 मृत अंगदाताओं का अंग दान किया गया है जबकि 2022 में यह संख्या 941 रही। बताया गया कि लगभग 140 करोड की आबादी वाले देश में अंगदाताओं की यह संख्या काफी कम है। लिहाजा इस मुहिम को बढ़ाने और अधिकाधिक लोगों को इसके लिए प्रेरित करने को वृहद स्तर पर जनजागरूकता अभियान की नितांत आवश्यकता है। बताया गया है कि प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा रविवार को की जाएगी।
अंगदान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में कुशल व अनुभवी चिकित्सकों की टीम बीते एक वर्ष में पांच मरीजों को सफलतापूर्वक किडनी प्रत्यारोपण कर चुकी है। जबकि हाल ही में, एक ब्रेन-डेड मरीज का सफल अंग संग्रहण किया गया। बताया गया कि उक्त मरीज की मृत देह से एकत्रित अंगों को चंडीगढ़ और नई दिल्ली में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया है। यह इस संस्थान की उत्कृष्ट, समर्पण एवं प्रतिबद्ध सेवाओं और
का प्रमाण है।