ब्यूरो रिपोर्ट – आपदा जोखिम न्यूनीकरण के तहत मंगलवार को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में ना० केन्द्रीय गृह मंत्री, अमित शाह की अध्यक्षता में बैठक हुई । जिसमें उत्तराखण्ड राज्य का प्रतिनिधित्व वन, भाषा, निर्वाचन एवं तकनीकी शिक्षा सुबोध उनियाल द्वारा किया गया। राज्यों के सकारात्मक एवं जमीनी सुझावों की सराहना करते हुए गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्यों को आपदा से निपटने में केन्द्र के भरपूर सहयोग का आश्वासन दिया गया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्यों के पास आपदा व आपदा से निपटने का जमीनी अनुभव है। आपदाओं के बदलते स्वरूप को उद्धृत कर उन्होंने इसकी पैनी तैयारी को व्यापक करने पर जोर दिया। कोविंड-काल में केन्द्र व राज्यों के समोहित प्रयासों से सदी की भीषण महामारी से निपटने को ऐतिहासिक बताया। पूर्व चेतावनी प्रणाली, बचाव आपदा न्यूनीकरण व समय से पूर्व तैयारी आधारित आपदा प्रबन्धन के नये आयाम को सामूहिक मेहनत के प्रतिफल बताया। उत्तराखण्ड राज्य की ओर से मंत्री सुबोध उनियाल ने जलवायु परिवर्तन व आपदा की निरन्तरता से हिमालयी राज्यों का विकास बाधित होने का बिन्दु प्रमुखता से उठाया। राज्यों की भौगोलिक व भूवैज्ञानिक कारणों के साथ अत्यधिक बारिश के कारण भूस्खलन / हिमस्खलन के अतिरिक्त भूकम्प क वनाग्नि प्रमुख हैं। इसके लिए हिमालयी क्षेत्र में ढाल के परिमाण मिट्टी के गुण, क्षेत्र को धारण क्षमता व जल – उपलब्धता के मद्देनजर विकास की आवधारणा को पता करने की बात प्रमुखता से रखी गई। राज्य की ओर से भूकम्प पूर्व चेतावनी संयन्त्र वनाग्नि से निपटने के लिए तकनीक उपकरण व प्रशिक्षित मानव संसाधन जुटाने में सहयोग बावत् कहा गया। केन्द्र द्वारा न्यूनीकरण कोष की स्थापना पर उत्तराखण्ड राज्य द्वारा हर्ष व्यक्त किया गया। आपदा के समय प्रारम्भिक प्रतिवादन हेतु आपदा मित्र कार्यक्रम में पंचायती राज संस्थाओं के साथ ही स्वयं सेवी संस्थाओं को भी सम्मिलित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। हिमालयी राज्यों की ओर से जलवायु परिवर्तन की चिन्ता को दोहराते हुए इससे निपटने के लिए केन्द्र सरकार के सक्रिय सहयोग से वृहद् योजनाएं विकसित करने व नवीन तकनीक के साथ संसाधन मुहैय्या कराने का सुझाव उत्तराखण्ड राज्य द्वारा दिया गया।