ब्यूरो रिपोर्ट- ’वर्ल्ड ट्रॉमा सप्ताह’ के अवसर पर राज्यपाल ले. जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह ने आम लोगों को आघात चिकित्सा के प्रति जागरुक करने की पहल को एम्स ऋषिकेश की दूरदर्शी सोच बताया। उन्होंने कहा कि ट्रॉमा मैनेजमेंट और हेल्थ मैनेजमेंट के क्षेत्र में एम्स ऋषिकेश अपनी विशेष भूमिका निभा रहा है। उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के उद्देश्य से इस प्रकार के जनजागरुक करने वाले आयोजनों को जरुरी बताया और ऐसे आयोजन निरन्तर जारी रखने की बात कही। एम्स ऋषिकेश के सप्ताह व्यापी ट्रॉमा जागरुकता सप्ताह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह ने कहा कि किसी भी दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति को बचाने के लिए शुरुआती 1 घंटे का गोल्डन ऑवर का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस 1 घंटे के दौरान घायल व्यक्ति को यदि समय रहते उचित इलाज मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड आध्यात्मिक यात्राओं, तीर्थाटन और पर्यटन के लिए विशेष पहचान रखता है। प्रतिवर्ष करोड़ों लोग यहां सड़क मार्ग से यात्रा करने आते हैं। ऐसे में राज्य में सड़क दुर्घटनाओं को कम करना एक बड़ी चुनौती है। लिहाजा इस दृष्टि से एम्स की यह पहल आम लोगों को आघात चिकित्सा के प्रति जागरुक करने और दुर्घटनाओं का कम करने में सफल साबित होगी। राज्यपाल ने कहा कि इस प्रकार के जागरुकता कार्यक्रमों से सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। कहा कि एम्स की ड्रोन टैक्नॉलाजी, टेलिमेडिसिन सुविधा और हेली एम्बुलेंस सेवा स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक मिसाल है। इससे पूर्व कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अमेरिका की रटगर यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा विभागाध्यक्ष प्रो. मयूर नारायण ने एम्स ऋषिकेश के ट्रॉमा सेंटर को चिकित्सा सुविधा की दृष्टि से समूचे राज्य के लिए वरदान बताया। कहा कि ऋषिेकेश स्थित एम्स देश का पहला एम्स है, जहां दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को हेली एम्बुलेंस के माध्यम से बहुत ही कम समय में अस्पताल पहुंचाया जा सकता है। प्रो. नारायण ने एम्स ऋषिकेश द्वारा सप्ताहभर तक संचालित ट्रॉमा रथ द्वारा विभिन्न स्थानों पर आयोजित किए गए जन-जागरुकता कार्यक्रमों की सराहना की।
एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए बताया कि उत्तराखंड में अधिकतर मौतें सड़क दुर्घटनाओं के कारण होती हैं। ऐसे में एम्स का प्रयास है कि इस प्रकार के आयोजनों से अधिक से अधिक लोगों को ट्रॉमा के प्रति सजग और जागरुक किया जाए। ताकि राज्य में ट्रॉमा के दौरान होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा। ट्रॉमा विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम ने सप्ताहभर तक संचालित ट्रॉमा रथ के बाबत विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ट्रॉमा विभाग आर्टिफिशियल लिम्ब सेंटर शुरू करने की योजना पर कार्य कर रहा है। साथ ही विभाग का प्रयास है कि शीघ्र ही स्पाईन इंज्यूरी के रोगियों के लिए एम्स में एक रिहैविलेटेशन सेंटर खोला जाए। इससे पूर्व कार्यक्रम के आयोजन सचिव और ट्रॉमा सर्जन डॉ. मधुर उनियाल ने एम्स के ट्रॉमा सर्जरी विभाग द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों और उपलब्धियों के बारे मे विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दुर्घटना से ग्रसित प्रत्येक घायल व्यक्ति का जीवन बचाना ही एम्स के ट्रॉमा विभाग का उद्देश्य है। डॉ. उनियाल ने बताया कि विभाग ने एक वर्ष में जरूरतमंद 12 हजार लोगों को टेली हेल्पलाईन नम्बर से आघात चिकित्सा के मामले में चिकित्सीय परामर्श दिया है, जबकि इस दौरान 243 घायलों की जान बचाई गई। उन्होंने कहा कि एम्स का प्रयास है कि राज्य के अधिकाधिक लोगों को ट्रॉमा के प्रति जागरुक किया जाए। कार्यक्रम के दौरान वर्ल्ड ट्रॉमा सप्ताह के आयोजन में प्रतिभाग करने वाले विभिन्न सदस्यों और विभाग में बेहतर सेवाएं देने वाले स्टाफ सदस्यों को पुरस्कृत भी किया गया। संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल के संचालन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान डीन एकेडेमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, ट्रॉमा विभाग के डॉ. भास्कर सरकार, उपनिदेशक प्रशासन ले. कर्नल राकेश कुमार, डॉ. मनोज गुप्ता, डॉ. पंकज शर्मा, डॉ. नम्रता गौर, एस.ई. ले. कर्नल राजेश जुयाल, प्रशासनिक अधिकारी गौरव बडोला, विधि अधिकारी प्रदीप चंद्र पांडेय, चीफ नर्सिंग अधिकारी रीटा शर्मा, सीनियर लाईब्रेरियन संदीप सिंह सहित विभिन्न विभागों के फेकल्टी सदस्य, डीएनएस, एएनएस आदि मौजूद रहे ।