उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा विभाग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य को लेकर किया राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन

ब्यूरो रिपोर्ट – उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा विभाग द्वारा सोमवार को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मनोवैज्ञानिक समस्याएं और मनोवैज्ञानिकों की भूमिका विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का ऑनलाइन आयोजन किया गया। वेबीनार का शुभारंभ पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शारीरिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, नई दिल्ली, भारत सरकार की अध्यक्षा डॉ स्मिता जयवंत शिक्षा शास्त्र विद्या शाखा के निदेशक प्रो. एच पी शुक्ला, दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून के विभागाध्यक्ष एवं स्वास्थ्य विभाग उत्तराखंड के उपनिदेशक डॉ एमके पंत द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।               मुख्य वक्ता के रूप में डॉ एम के पंत द्वारा अपने उद्बोधन में बताया गया कि व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है।एक स्वस्थ व्यक्ति को लगभग 6 से 7 घंटे की गहरी नींद लेना आवश्यक है अधिक देर तक जागना और कम सोना हमारी दैनिक जीवन की क्रियाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है साथ ही अपने उद्बोधन में डॉ पंत ने मेंटल हेल्थ एक्ट और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न समस्याओं के कारण और उनके निदान के बारे में भी जानकारी दी। वेबीनार के मुख्य अतिथि डॉ स्मिता जयवंत द्वारा अपने उद्बोधन में बताया कि मनोवैज्ञानिक समस्याएं हमारे मानसिक स्वास्थ्य को कमजोर करती हैं। हमें मनोवैज्ञानिक उपचारात्मक विधियों का अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित ना हो इसके लिए मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सही समय पर उपचार बहुत जरूरी है। विश्वविद्यालय द्वारा इस तरह की वेबीनार के आयोजन से समाज में मनोवैज्ञानिकों समस्याओं एवं उनके निदान के प्रति चेतना भी आएगी है।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में शिक्षा स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रोफेसर एसपी शुक्ला ने बताया कि मनोवैज्ञानिकों का समाज में वर्तमान समय की परिस्थितियों को देखते हुए बहुत ज्यादा योगदान है। ऐसे संवेदनशील विषय पर इस वेबीनार का आयोजन समाज के लिए आवश्यक है।.  वेबीनार के संयोजक डॉ सिद्धार्थ पोखरियाल द्वारा वेबीनार की रूपरेखा प्रस्तुत की गई । डॉक्टर पोखरियाल ने बताया कि हमें अवसाद से लड़ने की जरूरत है इस पर विजय प्राप्त करना आवश्यक है और इसके लिए सभी को सामूहिक प्रयास करना होगा और हम लोगों को मानसिक सेहत पर बातचीत जरूर करनी है क्योंकि अक्सर इस मुद्दे को सामाजिक लांछन के तौर पर लिया जाता है। शिक्षा शास्त्र विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ भावना धोनी द्वारा सभी का धन्यवाद किया गया । वक्ता के रूप में डॉ सीता, डॉ डिगर सिंह फरस्वार्ण, डॉ सलोनी अरोड़ा समेत विभागीय सदस्य डॉ कल्पना पाटनी लखेड़ा, डॉ दिनेश कुमार ,डॉ मनीषा पंत, डॉ दिनेश कांडपाल, डॉ देवकी सरोला समेत विश्वविद्यालय के विद्यार्थी एवं प्राध्यापक गण एवं अन्य प्रतिभागी ऑनलाइन उपस्थित रहे।

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