ब्यूरो रिपोर्ट – राज्य के विभिन्न प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अब महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर के परीक्षण की सुविधा अब जल्द ही उपलब्ध हो सकेगी। एम्स ऋषिकेश में विभिन्न जनपदों के राजकीय स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत नर्सों को सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए वीआईए ट्रेनिंग प्रोग्राम के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है। अगले 5 महीनों तक आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में राज्यभर की 100 नर्सेस को एम्स,ऋषिकेश की ओर से प्रशिक्षित किया जाएगा। नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा महिलाओं के स्वास्थ्य के मद्देनजर विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों में महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरुक करने संबंधी कार्यक्रम भी शामिल है। भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। कई अध्ययन अब सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए स्क्रीनिंग और उपचार के तरीकों की व्यवहारिकता और इसकी लागत-प्रभावशीलता का प्रमाण प्रदान करते हैं। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की मृत्यु दर में महत्वपूर्ण कमी एचपीवी परीक्षण या वीआईए स्क्रीनिंग के परिणामों से होने वाले उपचार से की जा सकती है। इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए इन दिनों एम्स ऋषिकेश में राज्य के राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सेवारत नर्सिंग स्टाफ को इस बीमारी की जांच में दक्षता के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण का यह कार्यक्रम विभिन्न चरणों में संपन्न किया जाएगा। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने इस बाबत बताया कि एसिटिक एसिड (वीआईए) के साथ दृश्य निरीक्षण, मध्यम संवेदनशीलता और स्क्रीनिंग के लिए विशिष्टता के साथ एक सरल व सस्ता परीक्षण है। इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं व नर्सों को परीक्षण प्रदाताओं के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि एनएचएम की पहल पर आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अगले 5 माह तक सततरूप से चलाया जाएगा। डीन एकेडेमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने बताया कि समय पर टीकाकरण और स्क्रीनिंग कराने से इस बीमारी का पूर्ण उपचार किया सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि रेडिएशन तकनीक से सर्वाइकल कैंसर का निदान हो सकता है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने इस कार्यक्रम को राज्यभर की महिलाओं के लिए स्वास्थ्य जागरुकता की दृष्टि से विशेष लाभकारी बताया। उन्होंने बताया कि महिलाएं यदि इस बीमारी के प्रति जागरुक रहें और समय पर इसकी जांच कराएं तो इसका खतरा टाला जा सकता है। प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर व स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. शालिनी राजाराम (गायनेकोलॉजिक ओंकोलॉजिस्ट) ने बताया कि वीआईए प्रशिक्षण को विजुअल इन्सपेक्शन विद एसेटिक एसिड कहा जाता है। विजुअल तरीके से होने वाली इस जांच में सर्वाइकल कैंसर का सटीक और सही समय पर पता चल जाता है।
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